ग़लतफ़हमी। रामानुज दरिया द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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ग़लतफ़हमी।

Haa...y...eeee, कैसे हो आप, hello.....मैं ठीक हूँ आप बताओ कैसे हो, मैं भी ठीक हूँ, क्या हुआ...........?, No reply, अरे बोलो भी कुछ..................No reply, उसके बार बार आग्रह करने पर भी आशु कोई रिप्लाई नहीं दे रहा था। पहली बार स्क्रीन पर देख कर ओ इतना कंफ्यूज था कि आखिर करें क्या, उसे जी भर के देख लें या बातें कर लें । और सच्चाई ये थी की ओ देखने में एकदम मगन था इसलिए आशी की hello, hii उसको सुनाई नहीं दे रही थी। मगन भी क्यूं न हो काफ़ी दिनों से आशु आग्रह कर रहा था कि आपको एक नज़र देखना चाहता हूं । लंबे अर्शे के बाद ओ बात मान गयी थी और आज वीडियो कॉल की थी।
आशु मन ही मन बहुत खुश था कि चलो उसकी मुराद पूरी हो गयी और गॉड को भी धन्यवाद दे रहा था जो उसने ये अवसर दिया। लेकिन किस्मत को शायद कुछ और ही मंजूर था। भूकंप की तरह एक ऑफिस पार्टनर आफिस में प्रवेश करता है और एकदम funny मूड में बोलता है, "अरे ये तो बहुत अच्छी लग रही है ,तुम तो कह रहे थे कि अच्छी नहीं है"। उसने तो सिर्फ एक लाइन मज़ाक में बोला जो उसके मज़ाक करने की आदत थी।
आदत उसकी ऐसी है कि कोई भी कॉल पे बात कर रहा हो तो ओ कुछ न कुछ बोल ही देता है, ऐसा नहीं कि ओ पहली बार बोला था लेकिन शायद कभी इतना भूचाल नहीं आया था। भूचाल क्या कोई फर्क तक नहीं पड़ता था लेकिन जरूरी नहीं कि हर किसी के साथ ऐसा हो।
कभी कभी ऐसा होता है कि गलतफहमी हमारे ऊपर इतना हॉबी हो जाती है कि हमारी सारी समझदारी उसके सामने घुटने टेक देती है। हालांकि इस वाक्य का कोई बहुत बड़ा मतलब नहीं था लेकिन समझने की बात थी जिसे आशी ने कुछ इस प्रकार समझा।
आशी नहीं चाहती थी कि उसका रिश्ता किसी भी कीमत पर पब्लिक हो। ओ पर्दे के पीछे का ओ प्यार चाहती थी जिसमें सिर्फ दिल का जुड़ाव हो जिस्म का नहीं।
उसे भी पता है कि इस कलयुगी दुनिया में ये असंभव तो नहीं है लेकिन न के बराबर ही इसका स्तित्व है। लेकिन फिर भी उसकी यही प्रबल इच्छा थी और उसी की ख़ोज में भटक रही थी । इत्तफ़ाक था कि उसकी मुलाकात सोशल मीडिया पर आशु से हो गयी जो उसके शर्तों पर प्यार करने को तैयार था। इसी के साथ मन का जुड़ाव हुआ और बातों का एक बेहतरीन सिलसिला शुरू हुआ।

अभी तो कुछ ही दिन हुआ था बात करते कि अचानक...........................................।
आशी को लगा कि आशु ने उस आफिस पार्टनर को सब कुछ आशी के बारे में बता रखा है बस इसी बात पर ओ आग बबूली हो गयी ।भौंहें तरेरते हुए उसने फोन को डिसकनेक्ट कर दिया फिर सिर्फ़ मैसेज आने शुरू हुये।
आशी इतने गुस्से में थी कि ओ एक ही पल में सब कुछ खत्म कर देना चाहती थी। उसकी आंखें क्रोध से इतनी लाल हो गयीं थी की यदि आशु सामने होता तो ओ उसे गोली मारने में जरा सा भी हिचकिचाहट नहीं करती।
लेकिन आशु की किस्मत थी कि ये सब कुछ फ़ोन पर ही हो रहा था।
आशी ने बहुत स्पस्ट बता दिया कि अब मुझे न तो कुछ समझने की जरूरत है न ही तुम्हे समझाने की और हां आज के बाद न तो कोई कॉल आनी चाहिए न ही कोई मैसेज क्योंकि मैं ऐसे फ्रॉड और विस्वासघाती आदमी से बात तो क्या कोई दूर - दूर तक सम्पर्क नहीं रखना चाहती। मुझे सख्त नफ़रत है ऐसे लोगों से जो विस्वास का गला घोंट कर अपने प्रेम का परचम लहराते हैं।
आशु के दिल पर जो बीत रही थी ओ तो सिर्फ आशु ही समझ सकता था । न तो आशी इस चीज़ को समझ पा रही थी न ही ओ जो बोल के चला गया।क्योंकि उसको तो पता भी नहीं कि उसके मज़ाक भरे एक वाक्य के बाद वहां क्या हुआ।
बहुत देर तक सन्नाटा पसरा रहा आशु के ऑफिस में , लगभग पांच मिनट के बाद जब उस का दिल-ओ-दिमाग काम करना शुरू किया तो देखा इतने सारे मैसेज ओ भी सिर्फ प्यार से दूर करने के लिये।
इस पृथ्वी पर कोई भी ऐसा क्रिएशन नहीं है जो अपने प्यार से नफरत करे और उसे बहुत आसानी से चले जाने दे अपने पास से। हां कुछ लोग बहुत माहिर होते है अपनी बात को आपके सामने रखने में और ओ आपको अपनी बातें मनवा के ही रहेंगे लेकिन कुछ लोग जरूरत से ज्यादा कमजोर होते है इस कला में। ओ आपके सामने अपनी बात रख नहीं पाते जिससे आपको लगेगा ये या तो झूठ बोल रहे हैं या फिर मुझे गुमराह कर रहे हैं और शायद आशु भी कुछ इसी कैटेगरी में आता था।
उसने एक बेहतर प्रयास किया यह बताने के लिए की यह सब कुछ मज़ाक है इसका हकीकत से कोई सरोकार नहीं है। लेकिन कौन समझे उसके हालात को। इससे ज्यादा ओ कुछ कह नहीं पाया अपनी सफाई में और यह पर्याप्त नहीं था आशी के गुस्से को शांत करने के लिए।
उसने आशु के सारे नंबर ब्लॉक कर दिए यहां तक कि मैसेज और टेक्स्ट सब कुछ।
दो दिन तक कोई बात नहीं हुई और जब दो दिन के बाद सुबह सुबह बात भी हुई तो सिर्फ इतना कि अब न ही आप कॉल करके परेशान करेंगे मुझे और न ही कोई मैसेज आना चाहिए आपका। हम आपसे कोई भी बात नहीं करना चाहते हैं और न ही आप ट्राय करना।

आशु तो कभी किसी लड़की के लिए आँशु नहीं बहाया था शायद इसलिए कि किसी से ऐसा टच नहीं था मगर आज सुबह जब फाइनल उसका जबाब आया तो ओ खुद को संभाल नहीं पाया और फुट - फुट कर रोने लगा।
मोबाइल चार्जिंग पर लगा था और ओ मोबाइल पकड़े खड़ा था लेकिन आशु को पता नहीं चला कि कब मोबाइल हाथ से गिर गया और न ही ये की ओ कब खुद नीचे गिर गया। लेकिन उसके रूम वाले उसे उठा कर कार्नर में बैठा दिये और पूछने पर बताया कि चक्कर आ गया था। बहुत करीब से उसने आशी को जाते हुए देखा, ओ भी सिर्फ गलतफहमी की वज़ह से।
ऐसा नहीं था कि प्यार सिर्फ आशु ही करता था लेकिन किस्मत में जो लिखा होता है वही मिलता है इंसान को।शायद आशु के किस्मत में प्यार नहीं लिखा था।
लेकिन एक बात है कि अगर आपके साथ कोई रिस्ते में रहना चाहता है तो ओ आपकी सारी गलतियां और बदमाशियां दरकिनार कर देता है लेकिन जो नहीं रहना चाहता है ओ सिर्फ एक ही मौके पर आपको छोड़ कर चल देगा। क्योंकि जो प्यार करता है ओ सभी परेशानियों से साथ में लड़ना चाहता है न कि दूसरा रास्ता ढूंढ लेता है। ऐसा नहीं है कि सारी इज़्ज़त और बेज्जती लड़कियों के ही कंधे पर होती है अगर आप समझते हो तो दोनों की भूमिका बराबर होती है चाहे लड़की हो या लड़का।
सबकी अपनी - अपनी इज़्ज़त होती है।
"खैर छोड़ो इन बातों में क्या रखा है"